नई दिल्ली
जैव सुरक्षा चक्र (बायो बबल) में रहने के अपने बुरे अनुभव ने बैडमिंटन खिलाड़ी एच एस प्रणय को कोरोना काल में खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मसलों की अहमियत बखूबी समझा दी। कोरोना महामारी के बीच लंबे ब्रेक के बाद अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन की बहाली हुई और बैंकॉक में एशियाई चरण की चैंपियनशिप में खिलाड़ी बायो बबल में रहे।

प्रणय ने कहा, ‘हमारे लिए यह बिल्कुल नए हालात थे। पहली बार हम बायो बबल में गए। दो सप्ताह तक हम अपने कमरों से बाहर नहीं निकल सके। हम सिर्फ अभ्यास के लिए जा सकते थे, मुख्य हॉल तक और बस तक। स्टेडियम के बाहर भी जाने की अनुमति नहीं थी।’

प्रणय ने स्वीकार किया कि एकांतवास में अकेलापन इतना खलता है कि लगता है कभी बाहर नहीं जा सकेंगे। प्रणय और साइना नेहवाल दोनों योनेक्स थाईलैंड ओपन के एक दिन पहले कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और उन्हें नाम वापिस लेना पड़ा था। बाद में एंटीबॉडी टेस्ट में पॉजिटिव आने के बाद वे भाग ले सके।

प्रणय ने कहा कि एक मनोचिकित्सक होता तो इस स्थिति से वे बेहतर निपट सकते थे, उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में खिलाड़ियों की मदद के लिए ऐसा कोई ढांचा बनाया जाएगा कि खिलाड़ियों को खेल मनोवैज्ञानिक की सेवायें हमेशा उपलब्ध रहेंगी। उन्होंने कहा, ‘कौन जानता है कि शेड्यूल में थोड़े बदलाव से 30-40 की रैंकिंग वाला खिलाड़ी शीर्ष दस में पहुंच जाए।’

Source : Agency